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खाद संकट गहराया : दर दर भटक रहा किसान : आंदोलन की चेतावनी

तेज बारिश के बाद खेतों में भारी जल जमाव

कपास के पौधे पीले पड़े : किसानों का कीटनाशक दवाइयों का बढ़ा खर्चा 

रिपोर्टर दिलीप कुमरावत MobNo 9179977597

 

मनावर। (जिला धार) क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश से खेतों में जल जमाव की स्थिति निर्मित हो रही है। कपास और मक्का की फसल पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

बताया जाता है कि 6 जुलाई को हुई भारी बारिश के बाद कई खेतों में पानी भर गया है, जिससे कपास और मक्का के नन्हे पौधों को नुकसान पहुंच रहा है। कई जगहों पर पत्ते पीले पड़ने लगे और झड़ रहे हैं।

कपास और मक्का की फसल मनावर क्षेत्र की प्रमुख नकदी फसल है। हर साल यहां इसकी बंपर पैदावार होती है। हालांकि, ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में अब भी कपास और मक्का की फसल बेहतर स्थिति में है और किसानों को अच्छी उपज की उम्मीद बंधी हुई है।

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किसानो का कहना है कि पिछले एक सप्ताह की लगातार बारिश से पौधे को धूप नहीं मिलने तथा खेतों में अत्यधिक नमी के कारण छोटे छोटे पौधों के पत्ते पीले पड़ने लगे हैं। कपास और मक्का की खेती में शुरुआती दौर में निदाई-गुड़ाई और कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव पर अत्यधिक खर्च आता है। इसलिए अधिक बारिश से फसल का प्रभावित होना किसानों के लिए चिंता की बात है।

“सोयाबीन की फसल का घटा रकबा”

खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन का क्षेत्र में रकबा निरंतर घटाता जा रहा है। इस वर्ष भी किसानों को अंकुरण के अभाव में दो से तीन बार बोवनी करना पड़ी। खेतों में अधिक नमी के कारण जड़ गलन की समस्या आ रही है। अंकुरित पौधो का विकास रुक गया और सुख रहे है। कीटनाशक का छिड़काव भी बेअसर हो रहा। कही कही फंगस और जड़ में काले धब्बे की समस्या भी आ रही है। जड़ गलन के कारण पौधे मुरझाकर गिर रहे है।


“जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना”

मनावर मान डेम और समीपस्थ जीराबाद स्थित डेम में बारिश का सकारात्मक असर देखा जा रहा है। पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष जल स्तर में बेतहाशा वृद्धि हुई है। निरंतर हो रही बारिश का लाभ यह भी हुआ है कि पहाड़ी क्षेत्रों से बहकर आने वाला पानी नदियों, नालों, कुओं और बोरिंग में भी जलस्तर बढ़ा रहा है, जिससे किसानों को आगामी दिनों में सिंचाई सुविधा मिलेगी।

“मौसम साफ रहा तो स्थिति में होगा सुधार”

कृषि विभाग का अनुमान है कि 11 से 15 जुलाई तक मानसून सक्रिय रहेगा, ऐसे में अब कपास के साथ-साथ मक्का, सोयाबीन और मूंग जैसी फसलों को धूप की सख्त जरूरत है यदि अगले कुछ दिनों में मौसम साफ रहा तो फसलों की स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। फिलहाल किसान जल जमाव वाले खेतों से पानी की निकासी तुरंत करें। यदि पौधों में सड़न जैसे लक्षण दिखें तो जड़ों को मजबूत करने के लिए खेतों में उर्वरक डाले तथा फफूंद नाशक दवाई का छिड़काव करें।

“खेती के लिए पर्याप्त ट्रांसफॉर्मर की कमी”

किसानों को 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है। खेती के लिए पर्याप्त ट्रांसफॉर्मर नहीं हैं। सरकारी सोसायटियों में खाद के लिए सुबह 5 बजे से किसानों की भीड़ लगी रहती है। एक किसान को एक बीघा पर महज एक बोरी यूरिया दिया जा रहा है जो अपर्याप्त है। प्रदेश में किसान हितैषी सरकार होने के बावजूद किसानो को खाद के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।


“बुकिंग का बहाना बनाकर व्यापारी खाद देने से कर रहे मना”

खाद दुकानों के व्यापारी किसानों को बुकिंग का बहाना बनाकर खाद देने से मना कर रहे हैं। कुछ व्यापारी 400 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से यूरिया बेच रहे हैं। डीएपी 123216 की अधिक मांग है, लेकिन सरकारी गोदाम खाली पड़े हैं। किसानो का कहना है कि नकली खुद की कलाबाज़ी भी धड़ल्ले से हो रही है।

“धरना प्रदर्शन की तैयारी कर रही है कांग्रेस”

विधायक डॉ. हीरालाल अलावा का कहना है कि समय पर खाद नहीं मिलने से कपास, मक्का, सोयाबीन, मूंग और चवला की फसलों का उत्पादन प्रभावित होगा। किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस कार्यकर्ता दोनों ब्लॉक के किसानों के साथ बैठकें कर धरना प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। शासन प्रशासन किसानों के हित में सकारात्मक पहल कर किसानों की ज्वलंत समस्या का यथाशीघ्र समाधान करे।

“भारतीय किसान संघ की चेतावनी”

भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष ओंकार मुकाती बताया कि प्रदेश में किसान हितैषी सरकार होने के बावजूद खाद की निरंतर किल्लत चिंता का विषय है। इस संबंध में एक ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को देकर सोसायटियों को पर्याप्त खाद आपूर्ति करने की मांग की गई है। कार्यवाहीं के अभाव में किसान संघ द्वारा चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।

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